श्री शिव चालीसा | Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF Download:-
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PDF Name | श्री शिव चालीसा | Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF Download |
Language | Hindi |
Category | Religion Spirituality |
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श्री शिव चालीसा | Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF Summary:-
दोस्तों इस पोस्ट में आपको श्री शिव चालीसा PDF in hindi में मिलेगा जहां पर कि आप Download बटन पर क्लिक कर आप आसानी से Free में डाउनलोड कर सकते हैं
तथा आप संपूर्ण शिव चालीसा का अध्ययन आप आसानी से कर सकते हैं तथा आप शिव चालीसा का अध्ययन कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं
श्री शिव चालीसा में आपको भगवान भोलेनाथ का पाठ लिखा रहेगा जिसे आप भगवान भोलेनाथ की पूजा के उपरांत एक मधुर स्वर में पाठ कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न न कर सकते हैं
तथा आप अपने संपूर्ण इच्छाओं की मनोकामना को पूरा कर सकते हैं भगवान भोलेनाथ का पाठ करने से आपके घर में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है
भगवान भोलेनाथ को कई नामों से जाना जाता है इन्हें कालों के काल महाकाल के नाम से भी जाना जाता है जिसका आशय है कि यदि आप भगवान भोलेनाथ की संपूर्ण श्रद्धा से पूजा पाठ करते हैं
आपका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि आप कालों के काल महाकाल की भक्त हैं हिंदू ग्रंथों में भगवान भोलेनाथ को महादानी ही बताया गया है जोकि स्वयं पहाड़ों पर रखकर अपनी भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं
हिंदू ग्रंथों में भगवान भोलेनाथ को “त्रिमूर्ति” ब्रह्मा, विष्णु व महेश (शिव) के नाम से जाना जाता है भगवान भोलेनाथ अत्यंत शक्तिशाली तथा पाप नाशक है
हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान ब्रह्मा का काम सृष्टि का निर्माण करना, भगवान विष्णु का काम समस्त जिओ का पालन करना, तथा भगवान भोलेनाथ का कार्य सृष्टि का संहार करना है
यदि आपके जीवन में विवाह संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही है तो भगवान भोलेनाथ का प्रतिदिन पाठ करने से आपकी समस्याएं खत्म हो सकती है यदि आप प्रतिदिन पाठ नहीं कर पा रहे हैं
तो प्रति सप्ताह के सोमवार के दिन यदि आप भगवान भोलेनाथ की पूजा करके तथा उनकी संपूर्ण श्रद्धा के साथ आप पाठ करेंगे तो आपकी समस्याएं जल्द ही खत्म हो जाएंगी तथा आप की मनोरथ इच्छाएं जल्द ही पूरी हो जाएंगे
जीनका विवाह नहीं हुआ है उन्हें 16 सोमवार व्रत रखना अत्यधिक लाभकारी होता है तथा इसके अलावा भी शिव तांडव का पाठ करे तो और भी लाभदायक होता है
हिंदू ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि यदि कोई भी शिव तांडव का पाठ करता है तो भगवान भोलेनाथ उसके ऊपर अत्यंत प्रसन्न होते हैं तथा उसके मनचाहे फल प्रदान करते हैं
श्री शिव चालीसा PDF | Shiv Chalisa Lyrics PDF in Hindi:-
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
श्री शिव जी की आरती PDF / Shiv Ji Ki Aarti PDF in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥